पिछले 9 महीनों से इंद्रप्रस्थ की रसोई बिना रुके काम कर रही है।
भारतीय परम्परा में भूखों को भोजन कराने की महिमा बहुत बड़ी है। यह परंपरा किसी जाति या धर्म तक सीमित नहीं है, सभी भारतीयों में यह गुण है। जिसका कारण बचपन से ही धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों तरह के संस्कारों का सिंचन है।
वड़ोदरा का इंद्रप्रस्थ फाउंडेशन (इंद्रप्रस्थ युवा मंडल) मानवधर्म का पालन करने से नहीं चूकता। सांसद श्रीमती रंजनबेन भट्ट के मार्गदर्शन में, श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर वणिक ट्रस्ट और दानदाताओं के सहयोग से, गोत्री अस्पताल (जीएमईआर अस्पताल) के गेट के सामने प्रत्येक शनिवार और रविवार और अवकाश के दिनों में सात्विक और पौष्टिक भोजन परोसा जाता है। लगातार 9 महीने।
ज्यादातर लोग सोचते हैं कि सेवा के लिए पैसे की जरूरत होती है। लेकिन सेवा के लिए धन से अधिक उदार मन की आवश्यकता होती है।
इंद्रप्रस्थ की रसोई से कोई भी जात्राग्रिन थर्य वीणा में वापस नहीं जाता। सुबह 8:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक सिर्फ 5 रुपये में बिना रुके खाना परोसा जाता है। मुफ्त का खाना न देने के 5 रुपये भी लिए जाते हैं, संक्षेप में सबके पास चाहे रुपये हों या न हों सबको खाना परोसा जाता है। भगवान की कृपा और दानदाताओं के निरंतर सहयोग से इन्द्रप्रस्थ की सेवा को आज तक कोई समस्या नहीं हुई है। इंद्रप्रस्थ की रसोई भगवान चलाते हैं। मंडल के कार्यकर्ता सेवा के प्रति केवल कर्तव्य निभाते हैं।
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